एसी और न कमाई ऐसा और न खजाना

कर प्यार हर प्राणी से है प्यार का जमाना,
एसी और न कमाई ऐसा और न खजाना,

बात खो लिया तप कर के जग दान भी है करता,
प्यार का लेस न दिल में क्यों ये चोरासी में फिरता,
किस भूल में विचरता ये बात न बुलाना
एसी और न कमाई ऐसा और न खजाना,

दिल बात बता देता जो दिल में चोर है होता,
प्यार के जीवन का जग में कुछ मजा और है होता,
वो नर ही भिभोर है होता जो माया का दीवाना,
एसी और न कमाई ऐसा और न खजाना,

प्यार के रस्ते वो ही चलेगा जो भी पूरा हो,
चलके देख दियां जिस ने अलग जहूरा हो
ये सूरा है तेरे रन में तू पीठ न दिखाना,
एसी और न कमाई ऐसा और न खजाना,

पूजा प्यार की जग में है उत सब से प्यार कर भाई,
मुर्ख जगनाथ की ते इक बात समज में आई ,
कर प्यार की कविताई गा प्यार का ही गाना,
एसी और न कमाई ऐसा और न खजाना,
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