कोई सार नही है संसार में
इक सार है संवारे के प्यार में
जब कही न मिले तुझे आसारा मिल जाएगा श्याम दरबार में,
भटक भटक कर रे मनवा तू क्यों जीवन बर्बाद करे
मुह पर तेरे बन ने वाले पीछे से अगात करे,
सघा देता दगा परिवार में क्या रखा है झूठे संसार में,
जब कही न मिले तुझे आसारा मिल जाएगा श्याम दरबार में,
सचे हिरदये से जिसने पुकारा आया मुरली वाला है,
दुभती नैया पार लगाता निर्बल का रखवाला है,
दरिया आनंद का दरबार में क्यों खड़ा है तू सोच विचार में,
जब कही न मिले तुझे आसारा मिल जाएगा श्याम दरबार में,
गुजर तेरा जीवन जाएगा बे मतलब के काम में
राह पकड ले सांवरियां की नाम लिखा दीवानों में,
राजू अनन्य सुख संसार में राधे श्याम के ही दरबार में,
जब कही न मिले तुझे आसारा मिल जाएगा श्याम दरबार में,