जादूगरी मोर छड़ी का
जादू आज दिखा दे
मेरे जाढ़ा लगा दे ।
मेरे जाढ़ा लगा दे ॥
जीवन की पतियांग मेरी
हाथो से तू सजा दे
मेरे जाढ़ा लगा दे
श्याम बहादुर आलू सिंह जी
जैसे हम भगत नहीं है
उनके जैसे श्याम हमारे
कर्म भी अच्छे नहीं है
फिर भी दया की दौलत बाबा
मुझपें आज लुटा दे ॥
मोर छड़ी से कितनो को ही
जीवन दान मिला है
सोइ किस्मत जाग गयी अब
गोदी में फूल खिला है
इस कलयुग में ऐसा करिश्मा
फिर से तू धोरा दे ॥
मोर छड़ी लहरा दे जिसपे
वो तो है बढ़ भागी
उनके हर सुख दुःख में बाबा
बनता है सह भागी
मोहित के सिर पे भी बाबा
अपनी छड़ी घूमा दे ॥