मैया बैठी आसन मार द्वार पर थारा लंगुरियां,
कैला कैला सब कहे लंगूर कहे न कोई
कैला के दरबार में जो लंगूर कहे सुहोये,
मैया बैठी आसन मार द्वार पर थारा लंगुरियां,
तेरे भवन में हो रही मैया घंटन की घनघोर,
जय जय जय की होए प्रग्व्ती तेरे चारो और,
मैया बैठी आसन मार द्वार पर थारा लंगुरियां,
जय दुर्गे जय सरस्वती जय विष्णु भगवान,
लजा रखना दास की करो सदा कल्याण,
मैया बैठी आसन मार द्वार पर थारा लंगुरियां,
ध्वजा नारियल और बता से बीड़ा चड़े अपार
विनय येह करते दर्शन छवि का बारम बार,
मैया बैठी आसन मार द्वार पर थारा लंगुरियां,