तुझे फरयाद इस दिल की सुनाई क्यों नही देती
लबो से आह जो निकले दिखाई क्यों नही देती
बरसती है मेरी आँखे जो सावन में धता बरसे
इन अश्को में तुझे चाहत दिखाई क्यों नही देती
तुझे फरयाद इस दिल की सुनाई क्यों नही देती
तेरी विरहा में रोज मैं ना जीती हु न मरती हु
मगर तुझको मेरी हालात दिखाई क्यों नही देती
तुझे फरयाद इस दिल की सुनाई क्यों नही देती
मेरे दिल की हर इक धडकन तेरा ही नाम लेती है
तुझे आवाज धडकन की सुनाई क्यों नही देती
तुझे फरयाद इस दिल की सुनाई क्यों नही देती
कही एसा न हो दर्शन बिना ही आँख मुंड जाए
तुझे इस दास की हसरत दिखाई क्यों नही देती
तुझे फरयाद इस दिल की सुनाई क्यों नही देती