उठो उर्मिला

उठो उर्मिला सूर्ये वंश का लखन तेरे अविनंदन में है
अनुज धर्म की दवजा त्याग कर शीश निभाये वंदन में है
उठो उर्मिला

अंग पाश निद्रा से बीता त्याग उठो न
वर्षो पेहले परहरे नींद में विरहा की चुनड ओह्ड सो गई
सियम है सिंदूर में तेरे परको लाहल चंदन में है
उठो उर्मिला

लुटन प्रये करो परिबाषित पारन पीर का करो सुनेना,
सपन लोक से विदा मांग लो बीत गई सब काली रैना,
प्रीत जो थी बात तुम्हारी भर प्रेम जल नैनं में है
उठो उर्मिला

श्रेणी
download bhajan lyrics (855 downloads)