स्वार्थ की दुनिया को छोड़के.
आया बाबोसा तेरे द्वार...
स्वार्थ की दुनिया को छोड़के ,
आया में तेरे द्वार सुनलो ये मेरी पुकार
में तो गया हूं हार , सुनलो बाबोसा सरकार,
करो विनती मेरी स्वीकार
सुनलो ये मेरी पुकार
हर खुशी हुई ओझल , छाये गम के अंधरे
जो कल तक थे अपने , वो आज नही मेरे
एक यही अरदास , बनू में प्रभु चरणो का दास
कर दो प्रभु उपकार सुनलो ये मेरी पुकार
अब छोड़कर तुमको , कही और नही जाऊँ
तेरी चोखट पे " दिलबर " , सारी उम्र बिताऊँ
कहे देव ये बारम्बार , छुटे कभी ना ये दरबार
बाबोसा सरकार
स्वार्थ की दुनिया को छोड़के ,आया में तेरे द्वार,
सुनलो ये मेरी पुकार बाबोसा सरकार
रचनाकार
दिलीप सिंह सिसोदिया " दिलबर "