अब हम गुरू गम आत्म चीना

अब हम गुरू गम आत्म चीना
आऊ ना जाऊं मरू नहीं जन्मू ऐसी ऐसी निश्चय कीना

भेख फकीरी सब कोई लेता ज्ञान फकीरी पंथ जीना
जिनके शब्द लगे सतगुरू का शीश काट धर दीना
 
फेर ना फिरता मांग ना खाता ऐसा निर्भय कीना
अजगर इधर- उधर नही डोले चून हरी लिख दीना

मरजीवा होए जगत में विसरू सवाल किया ना कीना
जिनकी कला शक्ल मे बरते वो साहब हम चीना

भेख लिया जब सुख- दुख त्यागा राम नाम रंग भीना
घट घट में साहेब का दर्शन दुरमती दूरी कीना

भक्ती रा नैन,ज्ञान का दर्पण,स्वी बैराग मिल तीना
धन सुखराम आतम मुख दरसे लखे संत प्रवीणा



               प्रेषक- नरेंद्र बैरवा(नरसी भगत)
                         8905307813
                       ( रमेशदास उदासी जी)
                          गंगापुर सिटी।
   

download bhajan lyrics (1060 downloads)