सभा है भरी भगवन,भीर पड़ी,
आवो तो आवो हरी,
किसविध देर करी,सभा है भरी भगवन ,
भीर पड़ी आवो तो आवो हरी
पति मोये हारी ये ना बिचारी,कैसे सभा में आवती नारी,
बाजी लगी थी भगवन कपट भरी,आवो तो आवो हरि,किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन भीर पड़ी आवो तो आवो हरी,
हो दुष्ट दु:शासन वस्त्र बिलोचन,खेंच रह्यो मेरे बदन को वासन
नग्न करण की मन मं करी,आवौ तो आवौ हरि,किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन भीर पड़ी आवो तो आवो हरी,
भीष्म पितामह,द्रोण गुरूदेवा,बैठे विदुरजी धर्म के खेवा,
सब की मति में भगवन् धुळ पड़ी आवौ तो आवौ हरि, किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन भीर पड़ीआवो तो आवो हरी,
हाथ पसारो, लाज उबारो, सत्य कहूं प्रभु बेगा पधारो
देवकीनंदन गावै, बणा बिगड़ी, आवौ तो आवौ हरि,किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन भीर पड़ीआवो तो आवो हरी,