अजमत भारी अजमत भारी क्या कहूं रे सिंगाजी तुम्हारी.....
पिपराड़ नदी जहाँ बहे बालगंगा,
जहाँ बिन ऋतू केरिया लागी अजमत भारी क्या कहूं रे सिंगाजी तुम्हारी,
अजमत भारी अजमत भारी.............
सदाशिव पय पान मगत हे, सदाशिव पय पान मगत हे,
जेने दुहि रे झोटी कुंवारी अजमत भारी क्या कहूं रे सिंगाजी तुम्हारी,
अजमत भारी अजमत भारी...........
झाबुआ देश भादरसिंह राजा झाबुआ देश भादरसिंह राजा,
जिनकी दय वाजुक फेरी अजमत भारी क्या कहूं रे सिंगाजी तुम्हारी,
अजमत भारी अजमत भारी...........
कहे जन दल्लू सुनो भाई साधो कहे जन दल्लू सुनो भाई साधो,
तुमने जम की फोज्या फेरी अजमत भारी क्या कहूं रे सिंगाजी तुम्हारी,
अजमत भारी अजमत भारी............