बाबा मेरा भाव का भूखा

बाबा मेरा भाव का भूखा
भाव ही सार है भाव से इसे भजो ये करता भव पार है,
भगतो के भजनों से प्रसन होता है,
बाबा मेरा भाव का भूखा

खाटू ऐसा दर है दुःख बे खबर है
जिस को मिला है वही जान पाया है
हार के यो आया इस ने साथ निभाया
खाली न दर से निराश लोटाया है
हर ग्यारस पे याहा जशन होता है
बाबा मेरा भाव का भूखा

नीले चढ़ के आये देर न आये संकट में जिस ने भी जिसे पुकारा है,
टेर जिस ने भी लगाई मन की मुरादे पाई
भगतो को केवल श्याम का सहारा है
प्रेमी सदा इसका मगन होता है
बाबा मेरा भाव का भूखा

खाटू में बेठा मौज लुटाये
चाहे तो वो रंक को राजा बनाये
श्याम शरण में वो श्रधा से आये
विपन वो तो खाटू ही वसना चाहे
श्याम भगती में प्रेमी प्रपन होता है
बाबा मेरा भाव का भूखा
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