ना तू नारियल चडाई ना चुंदरी ले आई,
इब दिल से बुलाई माँ आ गई
मैया की मैं रहमत का गुलाम हो गई
सब को बुला भवानी के संसार में खो गई
मेरी माँ को मेरी सादगी भा गई
इब दिल से बुलाई माँ आ गई
मनसा पूजा का फल क्या है संसार देख लिया
ये सूरज चंदा का परिवार देख लिया
मेरे दिल में वो अपनी लोह लगा गई
इब दिल से बुलाई माँ आ गई
दरबार माँ का मेरी हिरदये में बन गया
इक दीप ज्योत घी बाती के बिन ही जल गया
आनंद के छन में सदा समा गई
इब दिल से बुलाई माँ आ गई