तेरी धूम मची है धूम
फिर क्यों तेरी दया से बाबा मैं तो रहू मेहरूम,
तेरी धूम मची है धूम
कानो सुनी नही है बाबा बात है आँखों देखी
यहा यहाँ दरबार तुम्हारा भीड़ है लाखो देखो
गाओ गाओ और शहर शहर में आया हु मैं घूम
तेरी धूम मची है धूम
हारे का तुम बने सहारा निर्धन को है दोलत देदी,
निर्बल को बल दिया है तुमने लाखो को है शोरत देदी
सब सुख पाया जिसने तेरी चोक्ठ ली है चूम
तेरी धूम मची है धूम
हर दम रेहते साथ भगत के पल पल लाज बचाते हो,
धुप में बन कर शीतल छाया अमृत रस बरसाते हो
तू ही काबा तू ही काशी तू ही मेरा मखदूम
तेरी धूम मची है धूम