आये मेरी माँ के पावन नवराते

तर्ज -  छू कर मेरे मन को किया

आये मेरी माँ के पावन नवराते
घर घर मे होंगे , मैया के जगराते
आये मेरी माँ .....

दर्श बिना मुझको , आये न माँ अब चेन
माँ तुमसे मिलने को , तेरा लाल हुआ बेचैन
गिन गिन के गुजारे , माँ हमने दिन राते
आये मेरी माँ .....

जिस घर आये माँ , उस घर का भाग्योदय
छाये वहाँ खुशहाली , ये कहता आज अजय
दिलबर माँ के दर से , पाई है सौगाते
मैया के दर से , मिली " दिलबर ' कई सौगाते
आये मेरी माँ .....


दिलीप सिंह सिसोदिया
                     "  दिलबर "
               नागदा जक्शन म.प्र.

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