तू रोम रोम में मेरे , सांसो में समाया
ओ बाबोसा में तेरे , ख्वाबो में खोया रे
में तेरी प्रीत में पागल , दिल मे तुझे बसाया
में तुझे पुकारू बाबा ,तू कयू नही आया रे
तेरे नाम से मेरी , सांसे चल रही है
तेरी एक कमी मुझे , रोज खल रही है।
दुनिया को छोड़ तुमसे , प्रीत निभाई
फिर क्यों न तुमको मेरी ,याद न आई
मेने जिन्दगी का मालिक , तुझको ही बनाया
तू साथ हमेशा रहना ,बनकर साया रे
में तेरी प्रीत में पागल , दिल मे तुझे बसाया
में तुझे पुकारू बाबा ,तू कयू नही आया रे
मेरे दिल में ओ " दिलबर " तू आके समाजा एक बार तो आजा
मुझे अपना समझकर बाबा ,तू गले लगाजा रे
अनुष्का ,अधिस्ठा की , सुनलो ओ बाबोसा
में छोड़ के झूठी दुनिया , तेरी शरण में आया रे
में पाने तेरा प्यार ,तेरे पास में आया रे
में तेरी प्रीत में पागल , ,तेरे पास में आया रे
।।रचनाकार।।
दिलीप सिंह सिसोदिया