हारा हूँ मैं तो मोहन तू ही मुझे जिता दे
मंज़िल मुझे मिलेगी तेरे एक ही इशारे
हारा हूँ मैं तो मोहन..............
अपनों की क्या बी बताएं सबने देगा किया है
जिनसे भी साथ माँगा सबने मन किया है
रिश्ता हमारा बाबा तू ही तो अब निभा दे
हारा हूँ मैं तो मोहन................
क्या क्या बताऊँ मोहन मेरी ज़िन्दगी में क्या है
ग़म का अँधेरा बाबा चारों और से घिरा है
अश्कों की अब ये धरा बाबा तू ही मिटा दे
हारा हूँ मैं तो मोहन.................
कर्मो की ये ज़ंजीरें फंदा बनी पड़ी हैं
तोडूं मैं कैसे बाबा मजबूत ये बड़ी है
भानु के इस गुनाह को बाबा तू ही भुला दे
हारा हूँ मैं तो मोहन.............