तन कोई छूता नहीं चेतन निकल जाने के बाद
फेंक देते फूल को खुशबु निकल जाने के बाद
आज जो करते किलोलें खेलते है साथ में
कल डरेंगे देखकर तन निर्जीव हो जाने के बाद
बोलते जब तक सगे है चार पैसे पास में
नाम भी पूछे नहीं पैसा निकल जाने के बाद
स्वार्थ प्यारा रह गया असली मुहब्ब्त उठ गई
भूल जाता माँ को बच्चा पर निकल जाने के बाद
इस अस्थिर संसार में तू क्यों घमंडी हो रहा
देख फिर पछतायेगा समय निकल जाने के बाद
कैसे सुखिया होवेगा जो नहीं करता भजन
नर्क में जाना पड़ेगा पुण्य निकल जाने के बाद