मोहन प्रेम बिना नही मिलता

मोहन प्रेम बिना नही मिलता चाहे कर लो लाख उपाए
मोहन प्रेम बिना नही मिलता

मिले न यमुना सरस्वती में मिले न गंग नहाए
प्रेम सरोवर में जब दुभे प्रभु की झलक लो खाए
मोहन प्रेम बिना नही मिलता

मिले न पर्वत में निर्जन में मिले न वन वर्माये
प्रेम भाग घुमे तो प्रभु को भट में ये पधराये
मोहन प्रेम बिना नही मिलता

मिले न पंडित को ग्यानी को
मिले न ध्यान लगाये ढाई अक्षर प्रेम पड़े तो नटवर नैन समाये
मोहन प्रेम बिना नही मिलता

मिले न मंदिर में मूर्त में मिले न अलख जगाये
प्रेम बिंदु जब दृग से टपके तुरग प्रगत हो जाये
मोहन प्रेम बिना नही मिलता
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