प्रेमी कभी यार कभी मेरा बाप बन जाता
मुझे जिसकी हो दरकारी अपने आप बन जाता
प्रेमी कभी यार .................
मैं सा रे गा नहीं जानू मेरे मा पा हैं मेरे श्याम
सब सुर में ढल जाए वो तोतली जुबां से तेरा नाम
याद कर इसे रोना आलाप बन जाता
मुझे जिसकी हो दरकारी अपने आप बन जाता
तेरे दर जा सब पूजे घर में ना रखें तस्वीर
जो घर तेरा दिया है बैठा है तू मेरी तक़दीर
आते जाते देख तुझे हर ताप छन जाता
मुझे जिसकी हो दरकारी अपने आप बन जाता
जग से ना कोई अभिलाषा एक तुमसे ही मेरी आस
मैं कितना भी बदलू तुम रहना रखना सदा पास
बाकी सब अच्छा है जो तू आप बनवाता
मुझे जिसकी हो दरकारी अपने आप बन जाता
प्रेमी कभी यार .................