मेरी बस इक ख्वाइश है

मेरी बस इक ख्वाइश है चाहे दुनिया बदल जाये,
के सिर मेरा हो दर तेरा हो बाबा हर दम निकल जाये,

प्रभु हर रात हर सुबह तेरी किरपा सी होती है,
के जैसे सुखी फसलों पर तेरी वर्षा सी होती है,
जो बढ़ता हाथ मुझ तक गम का पल भर में फिसल जाये,
के सिर मेरा हो दर तेरा हो बाबा हर दम निकल जाये,

मैं तुझसे मांगता इतना मेरी हर सास तेरी हो,
तेरे ही नाम से गुजरे ये अर्जी ख़ास मेरी हो,
जो नजरे तेरी उठ जाये तो साया दुःख का टल जाये
के सिर मेरा हो दर तेरा हो बाबा हर दम निकल जाये,

पकड़ ले हाथ ओह कान्हा बहुत ही उदास हु प्यारे,
कलम से लिख के देता हु तेरा ही दास हु प्यारे,
हु दिल में गरूर चढ़ता आकाश के इक पल में जल जाये,
के सिर मेरा हो दर तेरा हो बाबा हर दम निकल जाये,
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