कभी कभी तू डाल के घुंघट पनघट जाती है
मतवाली सी चाल तेरी मेरे मन को भाति है
ओ मेरी राधा घुंघट में तू लगती प्यारी है,
है तू अलबेली सरकार तू मेरा दिल धड्काती है ,
आधा घुंघट हाफ हाफ तेरे सुन्दरता को बड़ा रहा
सुन राधा तू ओ मेरी प्यारी दिल की धडकन बड़ा रहा
ओ मेरी राधा घुंघट में तू लगती प्यारी है
है तू अलबेली सरकार तू मेरा दिल धड्काती है ,
तेरे इस छोटे घुंघट से सीख मिलेगी सारो को
अपने लाज की और संस्कृति मिलेगी शिक्षा सारो को
ओ मेरी राधा घुंघट में तू लगती प्यारी है
है तू अलबेली सरकार तू मेरा दिल धड्काती है ,
जो नारी सिंदूर को ढकती सूर्ये देव खुश होते है
करते है सिन्धुर उसी का अमर जो घुंघट करते है
लिखे उठा के कलम शेलेंदर भजन ये गाये है
ओ मेरी राधा घुंघट में तू लगती प्यारी है
है तू अलबेली सरकार तू मेरा दिल धड्काती है ,