सँवारे मेरी कलाही थाम लो एक बर,
गिर पडू न मैं अकेला ओ मेरे दिलबर,
जग जंजाल में भटक रहा हु सूजे न ही किनारा,
इस निर्बल का पालनहारे आजा बन के सहारा,
मेरे भी हम दम बन जाओ ओ मेरे प्रभु वर,
सँवारे मेरी कलाही थाम लो एक बर,
मोह माया के फंध छुड़ा के अपनी प्रीत जगा दे,
तुझमे खो कर रह जाऊ मैं अपना आप भुला के,
अपने प्रेम की जोत जगा दो ओ मेरे प्रभु वर,
सँवारे मेरी कलाही थाम लो एक बर
जब भी तेरा ध्यान धरु तो माया बन बन आये,
तेरे मेरे बीच की कड़ियाँ टूट के ही रह जाए,
हर्ष मुझे अब आन संभालो ओ मेरे प्रभु वर,
सँवारे मेरी कलाही थाम लो एक बर,