बाबा तू परीक्षा मत ले मत ले मैं थक गया देते
आकर के भरोसा दे दे देदे डर कैसा मेरे रहते
तू ही गर मुंह फेर ले तो किस्से कहूं ये भी कह दे
बाबा तू परीक्षा मत ले ..............
मैंने सारा जीवन तेरा ही गुणगान किया है
आई मुसीबत तब भी मैंने तेरा नाम लिया है
पर अब ना मैं सेह पाऊंगा आकर ये तू सुनले
बाबा तू परीक्षा मत ले ..............
जो सबको सुख देने वाला मुझसे क्यों है रूठा
या फिर कह दे तेरा मेरा रिश्ता ही है झूठा
गर मैंने की प्रीत है सच्ची तो दुःख मेरे मेट दे
बाबा तू परीक्षा मत ले ..............
जितनी साँसे बची है मेरी तेरे डर पे गुज़रे
ये जीवन तो गया निखार है पर भव भी तो सुधरे
राजू ने बस प्रेम है माँगा हाथ तेरा अब फेर दे
बाबा तू परीक्षा मत ले ..............