श्याम बाबा को श्रृंगार मन भावे

श्याम बाबा को श्रृंगार मन भावे,
खाटू वाले को दरबार मन भावे,
दुनिया का नजारा क्या देखा क्या देखा,

एको मुखर्ड़ो प्यारो प्यारो एकी अमृत की प्याली,
एके माथे मुक्त है छापर मोर पखियाँ गज़ब की निराली,
एका गुन्गारियां वाला बाल एकी हीरो चमके बाल,
मैं चाँद सितारा के देखा,
श्याम बाबा को श्रृंगार मन भावे ....

ये तो बदल बदल कर के पहने,नित भागा रंग बिरंगा,
कभी केसर लाल गुलाबी कदे ढोल कदे पशरंन्गा,
बाबा पहने गेर गुमेर पहने थोड़ी थोड़ी देर,
एक भागो दुबारा ना देखा,
श्याम बाबा को श्रृंगार मन भावे ....

एके मोटा मोटा गजरा फूल कई भांति का पिरोया,
उपर से इतर छिड़क के चोखानी से सेवक है आया,
माहरो बाबा है छोकीन देख तबियत हो रंगीन,
गुलशन की बहारा क्या देखा,
श्याम बाबा को श्रृंगार मन भावे .......

बेठो दरबार लगा कर यु मंद मंद मुशावे,
मंगेनियो ने यो बांटे श्याम प्रेमी से प्रेम बढावे,
सारो बाबो को परिवार बिनु श्याम लुटावे प्यार,
इथे थारा और मारा क्या देखा क्या देखा,
श्याम बाबा को श्रृंगार मन भावे ...
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