सखी री मैं हु प्रेम दीवानी
कोई समजे न कोई जाने न,
तू भी रही अनजानी
सखी री मैं हु प्रेम दीवानी
सुरत उसकी इतनी मोहनी
रंगत श्याम सलोनी
बिन देखे अखियाँ ना मानी मंद मंद मुस्कानी
सखी री मैं हु प्रेम दीवानी
ऐसा कर दिया मुझ पे जादू,
हो गई मैं मस्तानी
प्रेम रंग में लता रंग गई सुध बुध भी न जानी
सखी री मैं हु प्रेम दीवानी