किस लिए आस छोड़े कभी ना कभी,
क्षण विरह के मिलन में बदल जाएंगे,
नाथ कब तक रहेंगे कड़े एक दिन,
देखकर प्रेम आंसू पिघल जाएंगे ,
किस लिए आंस छोड़ें..
सबरी केवट जटायु अहिल्याजी के,
पास पहुंचे स्वयं छोड़कर के अवध,
ये हैं घटनाएं सच तो भरोसा हमें,
खुद ब खुद आप आकर के मिल जाएंगे,
किस लिए आंस छोड़ें,
दर्श देने को रघुवर जी आएंगे जब,
हम ना मानेंगे अपनी चलाये बिना,
जाने देंगे ना वापिस किसी शर्त पर,
बस कमल पद पकड़कर मचल जाएंगे,
किस लिए आंस छोड़ें,
फिर सुनाएंगे खोटी खरी आपको,
और पूछेंगे देरी लगाई कहां,
फिर निवेदन करेंगे न छोड़ो हमें,
प्रभु की जूठन प्रसादी पे पल जाएंगे,
किस लिए आंस छोड़ें,
स्वप्न साकार होगा तभी राम जी,
जन पे हो जाए थोड़ी कृपा आपकी,
पूर्ण कर दो मनोरथ यह "राजेश" का,
जाने कब प्राण तन से निकल जाएंगे,