है भगवान तेरी माया का भेद समझ नही आया
धरति ओर आकाश बीच मे खम्बा ना दर साया
पल मे रचदे पुश की टपलि पल मे महल चिनाया
पल मे रचदे किला गढ़ सुन्दर सिर पर छतर फिराया
है भगवान तेरी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चात्रक नार पुत्र बिन तरसे एक पुत्र नही जाया
फूड़ नार सुत नित्का जन्मे जन जन खोदि काया
है भगवान तेरी,,,,,,,,,,,,,,,,,, , ,
पल मे रचदे सुन्दर जवानी चले निरखतो छाया
पल के माइ झर झर रोवे देख भुड़ापा आया
है भगवान तेरी,,,,,,,,,,,,,,,
पल माही जल से जंगल भर दे तेरी अनोखी माया
पिथा राम कवे सुण अणतु हरि से हेत लगाया
है भगवान तेरी माया का ,,,,,,,,
सिंगर , भक्तगण
लेखक , अणतु राम जि रतनगढ़ चूरू राजस्थान
प्रेस्क, संतोष कुमार & राजकुमार कनवारी ( चरु )