मेरी जीत भी तू मेरी हार भी तू

तर्ज़ :- जिहाले मस्ती (गुलामी )

मेरी जीत भी तू ,मेरी हार भी तू,
मेरी सांसों के, हर तार में तू,
डूबने की मुझे ,क्या है ,फिकर,
मेरी नाव भी तू ,पतवार भी तू,
हो आ आ

ना जीतने की कोई तमन्ना,
ना हार जाने का मुझको डर है,

ना जीतने की कोई तमन्ना,ना हार जाने का मुझको डर है,
मेरे लिए तो है इतना काफी,कि मुझ पे बाबा तेरी नजर है,
ये हीरे मोती ,ये शानो शौकत,
जिन्हें मिले हैं ,उन्हें मुबारक,
मैं खुशी इसी में,तेरे दिये से,मज़े से चलता गुजर बसर है,
ना जीतने की कोई तमन्ना,ना हार जाने का मुझको डर है
मेरे लिए तो है इतना काफी,कि मुझ पे बाबा तेरी नजर है,

ना कोई साथी, ना है सहारा,
कठिन है राहे, तो क्या है बाबा,
तो क्या है बाबा,
ना कोई साथी,ना है सहारा,
कठिन है राहे, तो क्या है बाबा,
मुझे यकीन है,मिलेगी मंजिल,जो श्याम तू मेरा हमसफर है,
ना जीतने की कोई तमन्ना ,ना हार जाने का मुझको डर है
मेरे लिए तो है इतना काफी,कि मुझ पे बाबा तेरी नजर है,

क्यों कोई पूछे, क्यों मैं सुनाऊं,
ये दास्ता,अपनी जिंदगी की,
क्यों कोई पूछे,क्यों मैं सुनाऊं,ये दास्तां अपनी जिंदगी की,
मेरे लिए तो,ये है जरूरी,तुझे ख़बर है,या ना खबर है,
ना जीतने की कोई तमन्ना ,ना हार जाने का मुझ को डर है
मेरे लिए तो,ये है जरूरी,तुझे ख़बर है,या ना खबर है,

तेरे जहां से, क्या खोया पायाss,
क्यों वक्त इसमें,करूं मैं ज़ाया,करूं मैं ज़ाया,
तेरे जहां से ,क्या खोया पाया ,क्यों वक्त इसमें करूं मैं ज़ाया,
मेरे लिए तो, ये दुनिया सोनू, किराए का सिर्फ एक घर है ,
ना जीतने की कोई तमन्ना, ना हार जाने का मुझ को डर है,
मेरे लिए तो ,है इतना काफी,कि मुझपे बाबा तेरी नजर है
मेरे लिए तो,है इतना काफी, कि मुझपे बाबा तेरी नजर है
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