अरि जय जगदम्बे माता
मैं शरण तुम्हारी आया
जब जब कष्ट पड़े भक्तो पर
तब तब कृपा करि माँ उनपर
ओ रखती भक्तो से नाता
मैं शरण तुम्हारी आया।।
अरि जय जगदम्बे माता
मैं शरण तुम्हारी आया।।
घर घर विविध रूप कल्याणी
बड़े बड़े असुर हरे महारानी।।
पार कोई नहीं है पाता
मैं शरण तुम्हारी आया
अरि जय जगदम्बे माता
मैं शरण तुम्हारी आया।।
अब कर कृपा दया मई माता
शीश तेरे चरणों में नवता
सदा गन तेरे ही गता
मैं शरण ही तुम्हारी आया