मेरा खाटू वाला श्याम धणी भक्तों का पालनहारी है
भक्तों का पालनहारी है मेरा बाबा लखदातारी है
मेरा खाटू वाला श्याम धणी .................
खाटू में सजकर बैठा हुआ मेरा बाब लखदातारी है
दुनिया से हारे हुए के लिए मेरे श्याम की ये दरबारी है
ये बिन मांगे ही देता है ना मांगने की दरकारी है
मेरा खाटू वाला श्याम धणी ................
दुनिया में निराले सेठ हैं ये मेरे वीर लसानी हैं
हारे को यहाँ पर जीत मिली दुनिया ने बात ये मानी है
यहाँ भेद भाव कोई भी नहीं चाहे नर हो या नारी है
मेरा खाटू वाला श्याम धणी ................
तेरे सिप्ते गौरव लिखता है लिखने का उसे कोई ज्ञान नहीं
मैया मौरवी के लाल हैं ये कोई इस जैसा बलवान नहीं
कोई ऐसा वैसा सेठ नहीं दुनिया में चर्चा भारी है
मेरा खाटू वाला श्याम धणी ................