मैं गिनता रहू गुण तेरे तू अवगुण गिन मेरे

मैं गिनता रहू गुण तेरे तू अवगुण गिन मेरे
मुझे अपना दिखे न कोई भवानी माँ बिन तेरे

धोये है पाप तूने लाखो के मैया मेरा भी चोला अब साफ़ कर दे,
गलती की पुतले बड़े तूने बक्शे बुले भी मेरी अब माफ़ करदे
एसी ज्योति जला दो मन में के भाग जाए अँधेरे
मुझे अपना दिखे न कोई भवानी माँ बिन तेरे

माँ केह के भेरो बली था जब रोया
उसको अमर होने का वर दिया
बुल गई पल में गुन्हा उसके सारे
तुमने बुरे का भला कर दियां
हुई ममता दयाल जब तेरी तो तार दिए बहु तेरे
मुझे अपना दिखे न कोई भवानी माँ बिन तेरे

कपूत चाहे हो जग में माता कु माता कभी न हुई
चरणों में जिस ने सिर को जुकाया
उस के घर माँ की मेहर हुई इस उम्मीद में दर तेरे लगाये जाऊ माँ फेरे
मुझे अपना दिखे न कोई भवानी माँ बिन तेरे
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