मेरे बांके बिहारी से लड़े नैना मेरे जबसे,
हुई पागल दीवानी सी बैरागन हुई जग से,
मेरे बांके बिहारी से लड़े नैना....
नशा उनकी निगाहो का सदा मुझपर चढ़ा रहता,
पिलाई श्याम ने ही खुद ही पैमानों में उतर कर के,
मेरे बांके बिहारी से लड़े नैना....
असल मस्ती यही प्यारे समज में आया अब मुझको,
अज़ब दस्तूर है इनका निराली शान है सबसे,
मेरे बांके बिहारी से लड़े नैना....
तेरे ही नाम से मेरी सुबह और शाम है अब तो,
मेरी झोली भरी प्यारी तेरी रेहमत के मोती से,
मेरे बांके बिहारी से लड़े नैना
हुआ पागल ये मदना भी श्री राधा रशिक बिहारी का,
पकड़ कर बांह की किरपा मेरे गुरु देव ने जबसे,
मेरे बांके बिहारी से लड़े नैना