तर्ज- मरुधर में ज्योत जगाय गयो...
शेर -चुरू नगर रे माहीने , बणीयो आपरो धाम
भक्तो रा दुखड़ा दूर करे , म्हारा बाबोसा रो नाम,
म्हारा बाबोसा ने खम्मा घणी
कलयुग अवतारी , है जग धणी थाने ध्यावे
दुनिया सारी हनुमत रा आज्ञाकारी
है माँ छगनी रा लाल ,
शरण मे थारो लियो शरणे आयोडा भक्ता ने थे
दर्श दियो प्यारा बाबोसा ने .....
चुरू धाम में मंदिर न्यारो
म्हाने लागे स्वर्ग सु प्यारो
एक बार जो चुरू जावे
बण जावे यो ऊण रो सहारो
जो बाबोसा रो नाम जपे
दुख संकट ना आवे जी कदे
थाने ध्यावे दुनिया सारी हनुमत रा आज्ञाकारी
है माँ छगनी रा लाल , शरण मे थारो लियो
शरणे आयोडा भक्ता ने थे दर्श दियो प्यारा बाबोसा ने ....
श्रद्धा से टेर लगावे बाबोसा दोडिया आवे,
चमत्कार दिखाकर भक्तो रा कारज बणावे
म्हारा बाबोसा मनड़े भाया
दिलड़ा में ज्योत जगाय गया
थाने ध्यावे दुनिया सारी हनुमत रा आज्ञाकारी
है माँ छगनी रा लाल , शरण मे थारो लियो
शरणे आयोडा भक्ता ने थे दर्श दियो
प्यारा बाबोसा ने ....
पंचमी को जन्म है पाये
पंचमी को स्वर्ग सिधाये वो मिग्सर शुक्ला पांचम
बालाजी ने गोदी बिठाये
तीनो पंचमी की महिमा भारी
माध ,भादव , मिग्सर मनोहारी
थाने ध्यावे दुनिया सारी हनुमत रा आज्ञाकारी
है माँ छगनी रा लाल , शरण मे थारो लियो
शरणे आयोडा भक्ता ने थे दर्श दियो
प्यारा बाबोसा ने .....
थे भक्तो रा हितकारी
घर घर मे है चर्चा थारी मंजू बाईसा उपकारी
" दिलबर " जाये बलिहारी
नीता ने भक्ति रो रंग चढ़ाया गयो
म्हारो जीवन सफल बणाय गयो
थाने ध्यावे दुनिया सारी हनुमत रा आज्ञाकारी
है माँ छगनी रा लाल , शरण मे थारो लियो
शरणे आयोडा भक्ता ने थे दर्श दियो प्यारा बाबोसा ने ...
रचनाकार
दिलीप सिंह सिसोदिया