तर्ज:- जबसे देखा तुम्हें जाने क्या हो गया
रो रो कहता मैं तुमसे ये बात साँवरे
आके करलो न मुझसे दो बात साँवरे
तेरी यादों में हरपल मैं खोने लगा
इसी आस में दिन में भी सोने लगा
तेरे सपनो में आने की आस साँवरे
आके करलो न मुझसे ......
साथ रहता है अहसास होने लगा
तेरे ही ख्यालों में खोने लगा
है भरोसा ये देगा सौगात साँवरे
आके करलो न मुझसे ......
सच कहता हूं मन को तूँ मोहने लगा
रवि किरपा से तेरी संवरने लगा
पिता निकिता का तूँ ही ओर मात साँवरे
आके करलो न मुझसे ......
लेखक:- रवि शर्मा (श्रीगंगानगर)७०६२५३४५९०
गायिका:-निकिता अग्रवाल