ओ खाटू वाले तेरी याद सताए रे,
अखियां नीर बहाए रे,
दर्श बिन दिल घबराए रे,
ओ खाटू वालें.....
सोचा नहीं था जीना पड़ेगा,
दर से तेरे दूर होके,
चौखट से तेरे संवरती थी किस्मत,
मन है उदास वही खोके,
तू अपनी मोरछड़ी लहरा,
तोड़ दे बाबा हर पहरा,
क्यों ना रस्ता तू दिखलावे रे,
ओ खाटू वालें....
खाटू भी सूना गलियां भी सूनी,
ग्यारस भी सूनी गई रे,
कीर्तन थे बाबा जान हमारी,
होते वही अब नहीं रे,
ओ बाबा लीला कुछ कर दे,
तू खाटू मेला फिर भर दे,
‘मंत्री’ दर पे तेरे आए रे,
ओ खाटू वालें....
मजबूर तो मैं हूँ श्याम प्यारे,
तेरी है क्या मज़बूरी,
आ ना सकूँ मैं दर पे तुम्हारे,
तू ही मिटा दे ये दुरी,
समय की है कैसी धारा,
‘जयंत’ इससे है हारा,
क्यों ना रस्ता तू दिखलाए रे,
ओ खाटू वाले....तेरी याद सताए रे,
अखियां नीर बहाए रे,
दर्श बिन दिल घबराए रे,
ओ खाटू वालें।।