ठाड़े रहियो तनिक रघुवीर,
नाव मेरी लकड़ी की,
लकड़ी की हाँ लकड़ी की।
ठाड़े रहियो तनिक रघुवीर,
नाँव मेरी लकड़ी की।
अपनी नाव में ना तुम्हे चढ़ाउ,
पहले चरण आपके धुलाऊ,
पीछे धुलवाऊ लक्ष्मण बीर,
नाव मेरी लकड़ी की,
ठाड़े रहियो तनिक रघुवीर,
नाँव मेरी लकड़ी की.......
इन चरणन की सुनी महिमा भारी,
पत्थर सिला बनी है नारी,
में तो हो जाऊ खड़ा फ़क़ीर,
नाव मेरी लकड़ी की,
ठाड़े रहियो तनिक रघुवीर,
नाँव मेरी लकड़ी की......
मन में सोच रहे रघुराई,
मंद मंद रहे वो मुस्काई,
मेरे मन को लिया है जीत,
नाव मेरी लकड़ी की,
ठाड़े रहियो तनिक रघुवीर,
नाँव मेरी लकड़ी की.....
नाइ हमपे है रुपया ढेला,
नाइ हमपे है माल खजाना,
कहा लागे तेरी उतराई,
नाव मेरी लकड़ी की,
ठाड़े रहियो तनिक रघुवीर,
नाँव मेरी लकड़ी की.....
धन दौलत और सोना चाँदी,
ये तो माया आनी जानी,
नाइ इनपे बिगाड़ू में नीत,
नाव मेरी लकड़ी की,
ठाड़े रहियो तनिक रघुवीर,
नाँव मेरी लकड़ी की.....
मैंने प्रभु सरयू पार उतारे,
जब में आउ द्वार तिहारे,
मोहे पार लगाइयो रघुवीर,
नाव मेरी लकड़ी की,
ठाड़े रहियो तनिक रघुवीर,
नाँव मेरी लकड़ी की.....
बैकुंठ लोक में जाऊ रघुवर,
एक मढ़ैया बनवाओ रघुवर,
बस यही हमारी फीस,
नाव मेरी लकड़ी की,
ठाड़े रहियो तनिक रघुवीर,
नाँव मेरी लकड़ी की......