नटखट ललना झूल रहा पलना

नटखट ललना झूल रहा पलना,
यशोदा के अंगना रे,
खेल रहा ललना रे।।

आयी भादों महीने की,
रात अंधियारी,
जनम लियो कृष्णा रे,
यशोदा के अंगना रे,
नटखट ललना झुल रहा पलना......


रात है जनमअष्टमी वाली,
नाच मेरी बहना रे,
यशोदा के अंगना रे,
नटखट ललना झुल रहा पलना.....


दर्शन को आए शिव कैलाशी,
मिट गई तृष्णा रे,
यशोदा के अंगना रे,
नटखट ललना झुल रहा पलना.......


भीड़ लगी है नन्द के द्वारे,
देन बधईया रे,
यशोदा के अंगना रे,
नटखट ललना झुल रहा पलना......


सज गई सारी गोकुल नगरी,
बाजे चूड़ी कंगना रे,
यशोदा के अंगना रे,
नटखट ललना झूल रहा पलना,
यशोदा के अंगना रे,
खेल रहा ललना रे........
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