जीवन मरण को खेल म्हारा मनवा जीवन मरण को खेल,
हो थारी उमर चली रे जसी रेल म्हारा मनवा जीवन मरण को खेल॥
गर्भ वास मैं तो उल्टा टंगा यो कौन करार करीन तू आयो,
काटी नौ महीना की तूने जेल मारा मनवा जीवन मरण को खेल॥
गर्भ वास से तू बाहर आया भाई बंधु नम आशो लिपटायो,
जसोदावन को बेल मारा मनवा जीवन मरण को खेल॥
डली रे जवानी थारो आयो रे बुढ़ापो आयो रे बुढ़ापो,
पीछे लगीगो कुडापो हो तुख याद आव ना सब खेल॥
कहें जन सिंगा सुनो भाई साधु सुनो भाई साधु,
रे लगी गुरु चरनन में रेल मारा मनवा जीवन मरण को खेल॥
जीवन मरण को खेल म्हारा मनवा जीवन मरण को खेल,
हो थारी उमर चली रे जसी रेल म्हारा मनवा जीवन मरण को खेल॥