ओम पय:स्वतीय विद्महे, उत्तर वाहिनी धीमहि, तन्नो मां क्षिप्रा प्रचोदयात्।।
ओम जय क्षिप्रा मैया, मैया जय क्षिप्रा मैया।
तुम हो मोक्ष प्रदायिनी, पय:स्वती मैया।।
ओम जय क्षिप्रा मैया।।।
1) जिस पर कृपा तुम्हारी, आनंद वही पाता।
भक्ति इसी जगत में, वो नर पा जाता।।
ओम जय क्षिप्रा मैया।।।
2) जो जन पितरो का तर्पण, तेरे तट करता।
पितृ वही सहज में, मुक्ति को पाता।।
ओम जय क्षिप्रा मैया।।।
3) बारह बरस में मैया, लगें कुम्भ मैला।
संत समागम होता, पुण्य घड़ी बैला।।
ओम जय क्षिप्रा मैया।।।
4) मन निर्मल हो जाता, शरण तेरी जो आता।
पावन महिमा तेरी,नागर है लिखता।।
ओम जय क्षिप्रा मैया।।।
5) आरती मात तुम्हारी, भाव से जो गाता।
महाकाल की नगरी में, जन्म वही पाता।।
ओम जय क्षिप्रा मैया।।।
ओम जय क्षिप्रा मैया, मैया जय क्षिप्रा मैया।
तुम हो मोक्ष प्रदायिनी, पयःस्वती मैया।।
ओम जय क्षिप्रा मैया,ओम जय क्षिप्रा मैया,ओम जय क्षिप्रा मैया।।,,,,
इतिहास की पहली शिप्रा मैया की आरती
स्वरचित-लेखक,गायक- पंडित मनोज नागर,,9893377018