रघुनाथ जी हो जिसकी बिगड़ी बनाने वाले,
फिर क्या बिगाड़ सकते उसका ज़माने वाले,
कैसा भी वक़्त आये परवाह क्यों करेगा हम
रखवाले बन के बैठे हनुमंत गदा वाले,
फिर क्या बिगाड़ सकते उसका ज़माने वाले,
बल अपना कुछ नहीं है अभिमान क्या करे हम,
रघुवर कृपा का बल है जो चाहे आजमाले,
फिर क्या बिगाड़ सकते उसका ज़माने वाले,