बहे अंसुवन की लंबी धार माई विसर्जन में

( हम तेरे द्वार मे ऐ मैया, झोली फैलाए बैठे हैं,
हम तेरी आस में, दुनिया भुलाए बैठे हैं। )

लगी भगतन की भीड़ अपार, माई विसर्जन में,
बहे असुवन की लंबी धार, माई विसर्जन में,
लगी भगतन की भीड़ अपार, माई विसर्जन में ॥

कैसे करूं माँ तेरा विसर्जन,
दुख में भीग रहा मेरा तन,
बहती है असुवन जल की धारा,
समझाये ना समझे ये मन,
कांपे थर थर ये, मेरा ये बदन, माई विसर्जन में,
लगी भगतन की....

मां तुमने क्यूँ मुखड़ा मोड़ा,
आज चली क्युं रिश्ता जोड़ा,
योगी दसम दिन है दुखदाई,
मां ने हमसे लेली विदाई,
कुछ तो बोलो मां, बोलो मां, माई विसर्जन में
तेरे भगतन की.....

मुरझाया सा मन का बगीचा,
मां तुमने जिसको था सींचा,
अश्क बहाती दिल की गलियां,
सूख रही दिल की गलियां,
लड़खड़ाती है मेरी ज़ुबा, माई विसर्जन में,
लगी भगतन की.....

कैसी घड़ी आई दुखदाई,
लेके चली मां आज विदाई,
मुश्किल में है पल ये हमारे,
कैसे सहूंगा तेरी जुदाई,
रोते रोते मां ये कहता है मन, भाई विसर्जन में,
लगी भगतन की भीड़ अपार, माई विसर्जन में,
बहे असुवन की लंबी धार, माई विसर्जन में,
लगी भगतन की भीड़ अपार, माई विसर्जन में ॥
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