तर्ज – जाने क्यों लोग।
पार करोगे मेरी ये नैया,
ऐ मेरे श्याम तुम बनके खिवैया,
ऐ मेरे श्याम तू ही सहारा है,
बिगड़ी किस्मत को तूने ही संवारा है,
ऐ मेरे श्याम।।
साँचा है तेरा नाम,
बन जाते बिगड़े काम,
कोई याद करे है तुझको,
मिल जाते सारे धाम,
हारे का सहारा है,
श्याम तो हमारा है,
तेरी एक दया से चलता,
बाबा मेरा गुज़ारा है,
दीन दुखियों का अपने भक्तों का,
मेरे सरकार तू पालनहारा है,
ऐ मेरे श्याम तु ही सहारा है।।
सज धज कर बैठा है,
कलयुग का अवतारी,
निर्धन को सेठ बनाता,
हर ले विपदा सारी,
रींगस में धाम तेरा,
प्यारा तू श्याम मेरा,
मीरा और नरसी ने भी लिया,
हर पल है नाम तेरा,
मस्ती में तेरी मगन ये होकर,
झूमे जग सारा नाम ले ले कर,
ऐ मेरे श्याम तु ही सहारा है।।
मोरछड़ी हाथों में,
लीले की असवारी,
झोली तू सबकी भरता,
ऐसा है लखदातारी,
‘प्रिन्सी’ दीवानी हूँ,
दासी पुरानी हूँ,
आई हूँ तेरे दर पे लिए,
आँखों में पानी हूँ,
नाम तेरा ये द्वार तेरा ये,
शीश के दानी सबसे प्यारा है,
ऐ मेरे श्याम तु ही सहारा है।।
पार करोगे मेरी ये नैया,
ऐ मेरे श्याम तुम बनके खिवैया,
ऐ मेरे श्याम तू ही सहारा है,
बिगड़ी किस्मत को तूने ही संवारा है,
ऐ मेरे श्याम।।