( वैष्णो देवी जाने की तू,
करके रख तैयारी,
बस ये समझले,
आ ही गयी है अब तेरी भी बारी। )
भेजेगी बुलावा माँ तुझे भी दरबार से,
ज्योत मातारानी की जगा ले एतबार से,
एक बार जय माता दी बोल जरा प्यार से,
ज्योत मातारानी की जगा ले एतबार से,
भेजेगी बुलावा माँ तुझे भी दरबार से।
सोच ले मन में माँ के भवन में,
अब तुझे शीश झुकाना है,
अपने घर से माँ के दर तक,
नंगे पाँव जाना है,
माँ ममता बरसा देगी,
तुझे चिट्ठी बिजवा देगी,
अपने दरबार का रस्ता,
माँ खुद ही दिखला देगी,
जीत ले दिल मईया का,
अपनी तू पुकार से,
ज्योत मातारानी की जगा ले एतबार से,
भेजेगी बुलावा माँ तुझे भी दरबार से।
घोट सजाले मन्नत वाले,
चुनरी में महारानी की,
क्या जाने किस दिन हो जाये,
कृपा मातारानी की,
ये बात समझ ले प्यारे,
माँ तेरी राह निहारे,
जाने दे हवा में उड़कर,
माँ तक अपने जयकारे,
बाँध भावना की डोरी,
सच्ची सरकार से,
ज्योत मातारानी की जगा ले एतबार से,
भेजेगी बुलावा माँ तुझे भी दरबार से।
तुझको बिठायेगी महारानी,
अपनी दया के छाँव में,
रख देना तू माथा अपना,
फूलों जैसे पाँव में,
मन में विश्वास जगाले,
दर्शन की आस जगा ले,
तू ध्यान लगाके माँ का,
बस ये अरदास लगाले,
नैनो वाली खाली झोली,
भरदो माँ दीदार से,
ज्योत मातारानी की जगा ले एतबार से,
भेजेगी बुलावा माँ तुझे भी दरबार से।