जिस नैया के श्याम धणी हो खुद ही खेवनहार,
वो नैया पार ही समझो,बिना पतवार ही समझो,
तूफान में कस्ती चाहे,हिचकोले खाये,
भंवर के थपेड़े, चाहे जितना डराये,
जग का खेवन हार,थामे खुद ही पतवार,
वो नैया पार ही समझो.........
माझी बनेगा जब ये,सांवरा तुम्हारा,
मझधार में भी तुझको मिलेगा किनारा,
जिसका रक्षक बनकर बैठा लीले का असवार,
वो नैया पार ही समझो.......
हर्ष तू जीवन की नैया इसको थमादे,
इसके भरोसे प्यारे,मौज तू उडाले,
हाथ पकड़ ले जब ये तेरा,फिर किसकी दरकार,
वो नैया पार ही समझो..........