गले सर्पो के हार सिर गंगा की धार महादेवा
देवा कैसे करु मैं तेरी सेवा
दिल करता हैं जल मैं चढाऊ, जल लेने मैं नदिया पे जाऊ
मछली करती हैं इंकार महादेवा, इसमे मैं भी हूँ लाचार महादेवा
देवा कैसे करु मैं तेरी सेवा
दिल करता हैं फल मैं चढाऊ, फल लेने मैं बगिया मैं जाऊ
तोता करता हैं इंकार महादेवा, इसमे मैं भी हूँ लाचार महादेवा
देवा कैसे करु मैं तेरी सेवा
दिल करता हैं फूल मैं चढाऊ, फूल लेने मैं बागो मे जाऊ
भवंरा करता हैं इंकार महादेवा, इसमे मैं भी हूँ लाचार महादेवा
देवा कैसे करु मैं तेरी सेवा
दिल करता हैं दर्शन मैं पाऊ, दर्शन पाने मैं मंदिर मैं जाऊ
मन करता हैं इंकार महादेवा, इसमे मैं भी हूँ लाचार महादेवा
देवा कैसे करु मैं तेरी सेवा
गले सर्पो के हार सिर गंगा की धार महादेवा
देवा कैसे करु मैं तेरी सेवा