रे मन भज ले तू हरि नाम

रे मन भज ले तू हरि नाम॥
तेरे बन जाएंगे बिगड़े काम

मन के भरम में उलझा रहा तूँ
प्रभु को ना पहचान सका
भाग्य-विधाता कर्म है तेरा
इतना भी ना जान सका

अब तो मति सुधार ले अपनी
कर ले कुछ नेकी के काम
रे मन भज ले तूँ हरि नाम॥

मानव होकर मूरख तूने
कभी ना पर-उपकार किया
जनम गँवाया व्यर्थ में अपना
मन का मैल ना साफ़ किया

जीवन धन्य बना ले अपना
कर ले कुछ सेवा के काम
रे मन भज ले तूँ हरि नाम॥
                       
।।श्री हरि अर्पणमास्तू।।

श्रेणी
download bhajan lyrics (1063 downloads)