तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना

तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना,
के मै तो उठाने काबिल नही हुँ,
मै आ तो गया हुँ मगर जानता हुँ,
तेरे दर पे आने के काबिल नही हुँ,
तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना.....

इस जग की चाहत ने मुझको मिटाया,
फिर तेरा नाम जुबा पे ना आया,
गुनागहार हुँ मै सजावार हुँ मै,
तुझे मुँह दिखाने के काबिल नही हूँ,
तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना,
के मै तो उठाने काबिल नही हुँ......

ये माना की दाती है तु कुल जहाँ मे,
मगर झोली आगे फैलाऊ मैं कैसे,
जो पहले दिया है वही कम नही है,
उसी को निभाने के काबिल नही हुँ,
तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना,
के मै तो उठाने काबिल नही हुँ......

तुम्ही ने दी ए दाती मुझे जिन्दंगानी,
मगर तेरी महिमा के मैंने ना जानी,
कर्जदार तेरी दया का हुँ इतना,
के कर्जा चुकाने के काबिल नही हुँ,
तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना,
के मै तो उठाने काबिल नही हुँ......

तमन्ना यही है के सिर को झुका लूं
तेरा दर्श ईक बार दिल में बसा लूं
सिवा आंसूओ के ए मेरी मैया
कुछ भी चढाने के काबिल नही हुँ
तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना,
के मै तो उठाने काबिल नही हुँ,
मै आ तो गया हुँ मगर जानता हुँ,
तेरे दर पे आने के काबिल नही हुँ,
तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना.....

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