ओ बाबा श्याम पलकां थारी खोलो जी,
कन्हैया इक बर मुखड़े से बोलो जी,
ओ बाबा श्याम पलकां थारी खोलो जी……..
भगत दुखी थाने नींदड़ली आवे,
भक्ता रा भीड़ी थाने गाँव बतावे,
शरण तिहारी पलकां खोलो जी,
ओ बाबा श्याम पलकां थारी खोलो जी………
देर करा पथ थारी भी जासी,
दीनानाथ दुनिया हांसी उडासी,
काई छ विचार कुछ तो बोलो जी,
ओ बाबा श्याम पलकां थारी खोलो जी……
लाज बचाने वाले लाज बचाले,
पीछो ना छोड़ूँ चाहे कितनो सताले,
सेवक टाबर थारो भोलो जी,
ओ बाबा श्याम पलकां थारी खोलो जी……..
आलूसिंह जी ने श्रृंगार सजावे,
केसर चन्दन थारे इतर चढ़ावे,
हिवड़े में अमृत घोलो जी,
ओ बाबा श्याम पलकां थारी खोलो जी……..
ओ बाबा श्याम पलकां थारी खोलो जी,
कन्हैया इक बर मुखड़े से बोलो जी,
ओ बाबा श्याम पलकां थारी खोलो जी…….