॥ जय श्री श्याम ||
तर्ज:- मिलती है जिंदगी में मोहब्बत कभी कभी
आते हैं बाबा श्याम को जादू कमाल के
मुझको ले जा रहे हैं मुझसे निकाल के
देखा जो तुझको साँवरे तेरा ही हो गया होकर दीवाना
साँवरे तेरी धुन में खो गया बन गया तेरा गुलाम
मैं दुनियाँ को भूल के मुझको ले जा रहे हैं मुझसे निकाल के
अमृत बरस रहा प्रभु दरबार में ते
रे प्यासा पड़ा हूँ साँवरे चरणों में मैं तेरे
मस्ती का जाम दे दिया बाबा तू घोल के
मुझको ले जा रहे हैं मुझसे निकाल के
हर पल कन्हैया मैं तेरे सपनों में हँ खोया
ना जाने श्याम कब से मैं तेरा ही हो गया
"कृष्णा" तू ले शरण में अब दरवाजे खोल दे
मुझको ले जा रहे हैं मुझसे निकाल के