चौखट पे बैठा तेरी

चौखट पे बैठा तेरी,
कोई सुनता नहीं है मेरी,
दहलीज़ पार होती नहीं,
गलती क्या इसमें मेरी,
चौखट पे बैठा तेरी,
कोई सुनता नहीं है मेरी,

पड़ी हैं पाँव ज़ंजीरें,
मिले कैसे नज़र तुमसे,
पड़ा पर्दा जो है दिल पे,
ना मिलने देता है दिल से
मन खाये हिचकोले,
मर्ज़ी है बाबा तेरी,
चौखट पे बैठा तेरी,
कोई सुनता नहीं है मेरी।

दर्द की आग में झुलसा,
दर्श का श्याम हूँ प्यासा,
दयालु ना कोई तुझ सा,
जगा दो दर्श की आशा,
क्या कमी है श्याम मुझ में,
क्यों आँखें मुझसे फेरी,
चौखट पे बैठा तेरी,
कोई सुनता नहीं है मेरी।

करो एहसान एक मुझ पे,
सहारे तेरे तर जाऊं,
अर्ज़ मेरी है एक तुमसे के,
मैं भी पार हो जाऊं,
छूटे ना बाबा चौखट आये,
तूफ़ान या अँधेरी,
चौखट पे बैठा तेरी,
कोई सुनता नहीं है मेरी।

बड़े अरमान से जोड़ा के,
तुझसे नाता ये प्यारा,
तेरा उपकार है सब पे,
तू ही  हारे का सहारा,
सज्जन मगन है तेरा,
बस तेरी ही है देरी,
चौखट पे बैठा तेरी,
कोई सुनता नहीं है मेरी।
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